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Sanskrit Scholars

विद्यावाचस्पति पं. मधुसूदन ओझा

विद्यावाचस्पति पं. मधुसूदन ओझा

            विद्यावाचस्पति पं. मधुसूदन ओझा का जन्म बिहार प्रान्तस्थ मुजफ्फरपुर जिले के 'गाढा' ग्राम में विक्रमाब्द 1923 में कृष्णजन्माष्टमी के दिन रात्रि में 10 बजकर 30 मिनट पर हुआ था। आप पं.

वैद्यनाथ ओझा के पुत्र थे तथा पं. वैद्यनाथ जी के ज्येष्ठ भ्राता पं. राजीव लोचन ओझा जी ने आपको दत्तक पुत्र के रूप में स्वीकार किया । चूंकि पं. राजीव लोचन ओझा जयपुर राज्याश्रित होने के कारण जयपुर में निवास करते थे, अत: आपका जयपुर आगमन सम्भव हुआ। आपकी शिक्षा जयपुर, बनारस एवं दरभङ्गा में सम्पन्न हुई। आपने सर्वशास्त्रनिष्णात पं. शिवकुमार शास्त्री जी के अन्तेवासित्व में व्याकरण न्याय मीमांसा साहित्य वेदान्त आदि विविध शास्त्रों का गहन अध्ययन किया। सभी शास्त्रों में पारंगत होने पर आपने वेदों का अध्ययन कर उनकी वैज्ञानिक दृष्टि से समालोचना करने का संकल्प लिया।

            पं. शिवकुमार शास्त्री की आज्ञा पाकर भगवान् कामेश्वर शिव की उपासना करते हुए अपने लक्ष्य में तत्पर हुए। आपने जीवन के मध्यकाल तक ही पर्याप्त सफलता अर्जित कर सम्पूर्ण विद्वज्जगत् को अपने वैदष्य से चमत्कृत कर दिया । 1902 में जयपुर नरेश महाराजा माधवसिंह जी के साथ आपकी ऐतिहासिक इंग्लैण्ड यात्रा सम्पन्न हुई। आपने इंग्लैण्ड की भूमि पर अपने व्याख्यान से वेद की वैज्ञानिकता के सन्दर्भ में सम्पूर्ण विश्व के विद्वानों की आँख खोल दी।

आपके वैदुष्य को प्राच्य एवं पाश्चात्य जगत् के सभी विद्वानों ने एक स्वर से नतमस्तक होकर स्वीकार किया। अनेक पाश्चात्य विद्वान् वेद के अनुसन्धान में प्रवृत्त हुए तथा भारतीय विद्वानों ने भी वेदभाष्यों का गहन अध्ययन प्रारम्भ किया। आपका ही अवदान है कि आज वेद को वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जा रहा है तथा असंख्य विद्वान् वेदानुशीलन में तत्पर है।

            आपने अपने जीवनकाल में प्रभूत साहित्य सृजन किया। संस्कृत रत्नाकर के वेदांक में आपके द्वारा सृजित 288 ग्रन्थों की नामावली दी गयी है। वर्तमान में भी आपके हस्तलिखित ग्रन्थों की पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुई है तथा आपके ग्रन्थों पर विविध संस्थानों द्वारा व्यापक स्तर पर शोध कार्य किये जा रहे हैं।

* पं. श्रीमधुसूदनओझा की सारस्वत साधना *

(1) ब्रह्मविज्ञान

१.         दिव्यविभूति - जगद्गुरुवैभवम् ; महर्षिकुलवैभवम् ; स्वर्गसन्देश:, इन्द्रविजय:

२.         उक्थवैराजिक - सदसद्वाद:, रजोवाद:, व्योमवाद:, अपरवाद:, आवरणवाद:, अम्भोवाद:, अमृतमृत्युवाद:, अहोरात्रवाद:, दैववाद:, संशयतदुच्छेदवाद:, दशवादरहस्यम्

३.         आर्यहृदयसर्वस्वग्रन्थ: - ब्रह्महृदयम्, ब्राह्मणहृदयम्, उपनिषद्हृदयम्, गीताहृदयम् (गीताविज्ञानभाष्य, प्रथम रहस्य काण्ड, द्वितीय मूलकाण्ड), ब्रह्मसूत्रहृदयम् (प्रथम भाग-द्वितीय भाग), शारीरकविमर्श:

४.         निगमबोधग्रन्थ - निगदवती, गाथावती, आख्यानवती, निरुक्तिमती, पथ्यास्वस्तिर्वेदमातृका

५.         विज्ञान प्रवेशिका - ब्रह्मद्रवी, ब्रह्मधारा, विज्ञानविद्युत्, विज्ञानपरिष्कार:, दर्शनपरिष्कार

६.         विज्ञान-मधुसूदनग्रन्थ - ब्रह्मविनय, ब्रह्मसमन्वय:, ब्रह्मप्राजापत्यम्, ब्रह्मोपपत्ति:, ब्रह्माचतुष्पदी ब्रह्मसिद्धान्त

७.         सायिन्सप्रदीपग्रन्थ - भौतिकसायिन्सप्रदीपिका, अग्निविद्युत्ईथरविज्ञान, यौगिकसायिन्स प्रदीपिका, मौलिकपदार्थविद्या, शारीरिकसायिन्स, दृग्विज्ञानप्रदीपिका, वस्तुसमीक्षा

(2) यज्ञविज्ञान

१.         निवित्-कलाप - वैश्वरूपनिवित्, ऋषिनिवित्, देवतानिवित्, आत्मनिवित्, यज्ञनिवित्

२.         यज्ञमधुसूदन - यज्ञविहाराध्याय, स्मार्तकुण्डसमीक्षाध्याय, यज्ञोपकरणाध्याय, मन्त्रप्रचरणाध्याय, आत्माध्याय, देवताध्याय, यज्ञविटपाध्याय, कर्मानुक्रमणिकाध्याय, आधिदैविकाध्याय

३.         यज्ञविनय-पद्धति - यज्ञकौमुदी, चयनाध्याय, छन्दोभ्यस्ता

४.         प्रयोगपारिजात - आधानप्रक्रिया, प्राकसौमिकप्रक्रिया, एहातप्रक्रिया, अह्निप्रक्रिया, सत्रप्रक्रिया निरूढपशुबन्ध

(3) पुराणसमीक्षा

१.         विश्वविकाश ग्रन्थ - मन्वन्तर-निर्धार, विश्वसृष्टिसन्दर्भ:, आर्यभुवनकोश, ज्योतिश्चक्रसंस्थान, वैज्ञानिकोपाख्यान, वंशमातृका, पुराणोत्पत्ति:, पुराणनिर्माणाधिकरणम्

२.         देवयुगाभास ग्रन्थ - देवासुरख्याति, राघवख्याति, यादवख्याति, हैहयख्याति, पौरवख्याति (अत्रिख्याति), अक्रमख्याति, माधवख्याति:, भारतख्याति

३.         प्रसंगचर्चित ग्रन्थ - कथानकसमुच्चय, दैवतमीमांसा, वेदपुराणादि-शास्त्रावतार, कल्पशुद्धिप्रसंग, परीक्षाप्रसंग, पुराणपरिशिष्ट

(4) वेदाङ्गसमीक्षा

१.         वाक्पदिका - वर्णसमीक्षा, छन्द: समीक्षा, वैदिककोश, वैदिकशब्दतालिका, व्याकरणविनोद

२.         ज्योतिश्चक्रधर-ताराविज्ञान, गोलविज्ञान, होराविज्ञान, कादम्बिनी (सौदामिनी व्याख्या सहित), लक्षणविज्ञान

३.         आत्म संस्कार कल्प - शुद्धिविज्ञानपञ्जिका (आशौचपञ्जिका), धर्मविज्ञानपञ्जिका, व्रतपञ्जिका, व्यवहारव्यवस्थापिका, श्राद्धपरिष्कार

४.         परिशिष्टनुग्रह - शास्त्रपरिचय, वेदार्थभ्रमनिवारणम, वेदधर्मव्याख्यानपञ्जिका, प्रत्यन्तप्रस्थानमीमांसा, गोत्रप्रवर-पताका, जातिपञ्जिका, सम्प्रदाय पञ्जिका, इन्द्रध्वजोत्थापन-पद्धति, धर्मतत्त्वसमीक्षा, पञ्चभूतसमीक्षा

डॉ सुरेंद्र कुमार शर्मा
अध्येता पंडित मधुसूदन ओझा साहित्य
संपादक: विश्व गुरु दिव्य संदेश मासिक शोध पत्रिका
पूर्व प्राचार्य श्री दादू आचार्य संस्कृत महाविद्यालय जयपुर