विश्वगुरु दीप आश्रम अनुसंधान केंद्र, जयपुर
2016 में डेली लाइफ फाउंडेशन में योग द्वारा स्थापित।
2022 से राजस्थान संस्कृत अकादमी से संबद्ध।
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, नई दिल्ली से संबद्ध
2018 में जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त।
महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी
देवऋषि कलानाथ शास्त्री
प्रोफेसर दयानंद भार्गव
डॉ शीला डागा (विद्यालंकार)
अनुसंधान केंद्र के बारे में
जगद्गुरु रामानन्दाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध उच्चस्तरीयशोधसंस्थान
इस संस्था का कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारतवर्ष होगा। यह संस्था कहीं भी अपनी शाखायें कार्य-विस्तार हेतु खोल सकेगी।
उद्देश्य-
इस संस्था के निम्नांकित उद्देश्य होंगे –
(1) समग्र प्राच्य विद्याओं यथा वेदविज्ञान, वेदाङ्ग, वेदान्त, धर्मशास्त्र, दर्शन साहित्य, मीमांसा, अध्यात्म, योग, आयुर्वेद, पुराण, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र, ज्योतिष इत्यादि की पाण्डुलिपियों का संग्रहण एवं संरक्षण करना।
(2) प्राच्य विद्याओं की पाण्डुलिपियों का अनुवाद, व्याख्या,समालोचन समीक्षा इत्यादि कार्य करवाना एवं उसे अपने स्तर पर सम्पादित एवं प्रकाशित करना।
(3) प्राच्य विद्याओं पर शोध की प्रविधि के संरक्षण हेतु समय समय पर पाण्डुलिपि-अध्ययन तथा शोध प्रविधि विषयक शिविरों का आयोजन करना एवं तत्सम्बन्धी प्रशिक्षण प्रदान करना।
(4) प्राच्य विद्याओं पर शोधकार्य में सक्षम विद्वानों हेतु समय समय पर मार्गदर्शन प्राप्त करना। उत्कृष्ट शोधकार्य पर शोधकत्र्ताओं को सम्मानित करना, एतदर्थ सम्मान समारोह इत्यादि का आयोजन करना।
(5) ज्योतिष योग, साधना, एवं कर्मकाण्ड - विषयक ज्ञान के संरक्षण के लिए प्रायोगिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करना एवं करवाना। एतदर्थ सामयिक शिविरों के आयोजन एवं संचालन को क्रियान्ववित करना।
(6) प्राच्यविद्याओं पर विश्वविद्यालय के नियमानुसार शोध कार्य सम्पन्न कराना एवं उन्हें शोधापाधि हेतु विश्वविद्यालय को प्रस्तुत करना।
विद्वत् परिषद्-
शोध संस्थान द्वारा करवाये जा रहे शोध कार्यों में गठन मार्गदर्शन हेतु सभी प्राच्य विद्याओं के विद्वानों की एक विद्वत् परिषद् होगी जिसका गठन अध्यक्ष एवं सचिव दोनोंं मिल कर करेंगे। विद्वत् परिषद् के विद्वानों का चयन भारत में विधिद्वारा स्थापित विश्वविद्यालयों, मानित विश्वविद्यालयों एवं उनसे सम्बद्ध महाविद्यालयों में सेवानिवृत्त अथवा कार्यरत (आवश्यकतानुसार) विद्वानों में से किया जायेगा। प्रत्येक प्राच्य विद्या के मार्गदर्शन हेतु न्यूनतम 2 विद्वानों का चयन किया जाना अपेक्षित रहेगा।
शोध पीठो की स्थापना
विश्वगुरुदीप आश्रम शोध संस्थान, जयपुर में प्राच्य विद्याओं के शोधकार्य के नियमित संचालन के उद्देश्य से निम्नांकित शोधपीठ स्थापित किये गये हैं:-
(1) वेद-पुराण-स्मृति शोधपीठ
(2) भाषा एवं शास्त्र शोधपीठ
(3) धर्म-दर्शन-संस्कृति शोधपीठ
(4) ज्योतिष-पौराहित्य एवं कर्मकाण्ड शोधपीठ
(5) संस्कृत प्रचार प्रसार शोधपीठ