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डॉ. नारायण शास्त्री काङ्कर
स्वर्गीय डॉ. नारायण शास्त्री काङ्कर विश्वगुरु दीप आश्रम शोध संसथान के संस्कृत प्रचार-प्रसार शोधपीठ के पीठाचार्य थे ।
पिता का नाम- महामहोपाध्याय आचार्य पंडित श्री नवलकिशोर काङ्कर
माता का नाम- श्रीमती पुष्पा (फुला) देवी काङ्कर
जन्म स्थान - जयपुर (राजस्थान)
जन्म तिथि -13 जुलाई 1930
ब्रह्मलीन तिथि - 3 फ़रवरी 2023
शैक्षिक योग्यता:-
डी.लिट. - राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर - 2010
पीएच.डी. - राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर - 1974
एम.ए. - राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर - 1963
आचार्य - वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय - 1958
सेवाएं
- संस्थागत सेवा- राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर से एसोसिएट प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त
- संस्कृत और आयुर्वेद के विद्वानों को संस्कृत का निःशुल्क शिक्षण
- शोधार्थियों को मार्गदर्शन देना और संस्कृत और हिंदी लिखने के निर्देश देना
- 1955 से संस्कृत और हिंदी में लिखकर साहित्य व समाजसेवा की
-आप संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए विभिन्न आयामों में कार्य करते हुए 1960 से विभिन्न धर्मार्थ गतिविधियाँ चला रहे हैं।
अन्य उपलब्धियाँ
संस्कृत और हिन्दी भाषा में लगभग चौदह हजार (१४०००) गद्य और पद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। ये महासागरीय कार्य भारत के विभिन्न भागों के एक सौ अट्ठासी (188) पत्रिकाओं में प्रकाशित हुऐं हैं। आपने पिता की तेरह (13) पुस्तकों और संस्कृत भाषा के अन्य लेखकों की चवालीस (44) पुस्तकों का संपादन किया है।
अब तक आपके पुस्तक के रूप में संस्कृत भाषा में चालीस (40) व्यक्तिगत लेखन प्रकाशित हो चूके हैं। आपके द्वारा संस्कृत साहित्य के अठारह (18) ग्रंथों का संस्कृत और हिंदी व्याख्यात्मक भाष्य के साथ संपादन भी किया गया है। माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, इंटरमीडिएट, बीए, बीए (ऑनर्स), प्रवेशिका, प्री-आयुर्वेद, एमए, पीएटी जैसे विभिन्न क्षेत्रों के पाठ्यक्रम में आपकी पंद्रह (15) पुस्तकें सम्मिलित थीं।
उनके मूल लेखों में से आठ (8) विभिन्न विद्वानों द्वारा विभिन्न बोर्ड परीक्षाओं, विभिन स्तरों के विश्वविद्यालय परीक्षाओं और उच्च शिक्षा में भी सम्मिलित किए गए हैं।
राजस्थान के आदरणीय राज्यपाल और शिक्षा मंत्री, राजस्थान ने संस्कृत साहित्य के प्रति आपके योगदान को देखते हुए आपकी आठ (8) लोकप्रिय पुस्तकों में प्रस्तावनाऐ लिखी हैं।
संस्कृत, हिंदी और कन्नड़ भाषा में आपकी तीन (3) पुस्तकों की समीक्षा विभिन्न पत्रिकाओं में प्रकाशित और अखिल भारतीय-रेडियो से प्रसारित की गई।
संस्कृत भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अखिल भारतीय रेडियो में 100 से अधिक कार्यक्रमों में भाग लिया।
आपकी इकतीस (31) संस्कृत पुस्तकों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
आपके मूल संस्कृत लेखों में से बत्तीस को राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न प्रकार के पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
1970 से 2012 तक राजस्थान सरकार,भारत सरकार व विभिन्न राज्य सरकार तथा अन्य सामाजिक और धार्मिक संगठनों से तीस (30) से अधिक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों (विद्यालंकार, वैयाकरण-केसरी, विद्या-वारिधि, साहित्य-सिरोमणि, साहित्य-सुमेरु, मीमांसा-केसरी आदि नौ(9) पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।
राजस्थान विश्वविद्यालय, कोटा विश्वविद्यालय से विद्यानिधि और विद्यावारिधि जैसी विभिन्न डिग्रियां प्राप्त की ।
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