Bhajan - GURU CARAṆÕ MẼ AṚASAṬHA TĪRATHA HÃI - Hindi Translation
पृष्ठ 2 का 11
हिन्दी अनुवाद
गुरु चरणों में अड़सठ (६८) तीर्थ विराजमान होते हैं। ऐसा वेद-पूरण कहते हैं। (टेर)
इन तीर्थों में उत्तम जिज्ञासा (जानने की इच्छा) रखने वाले आते हैं और निर्मल जल में स्नान कर धन्य हो जाते है ॥ १ ॥
यहाँ पर सत्य और विवेक से परिपूर्ण अनुभव की वाणी सुनने को ही लोग आते हैं॥ २ ॥
यहाँ आकर मन से वचन से आनन्द प्राप्त करते हैं और सत्य स्वरूप के दर्शन करते हैं ॥ ३ ॥
जो यहाँ आते हैं उनको ये गुरु जीवन मुक्त कर के भेजते हैं फिर वे जन्म-मरण के चक्कर में नहीं फँसते हैं॥ ४ ॥
जब वे परब्रह्म को प्राप्त कर लेते हैं तो दीप हरि के गुण गाते हैं॥ ५ ॥
शिवानन्द स्वामी के मन को ऐसे गुरु ही भाते हैं अर्थात् अच्छे लगते हैं फिर वे अन्य किसी देवता का ध्यान नहीं करते हैं॥ ६ ॥