विश्वगुरु स्वामी महेश्वरानन्दपुरी
जीवन परिचय
विश्वगुरु महामण्डलेश्वर परमहंस श्री स्वामी महेश्वरानन्दपुरी जी, हिन्दू धर्म सम्राट परमहंस श्री स्वामी माधवानन्द जी के शिष्य एवं उनके पीठासीन (उत्तराधिकारी) है। १९७२ से विएन्ना ऑस्ट्रिया में रह कर के उन्होंने “इंटरनेशनल श्री दीप माधवानंद आश्रम एवं प्रथम दैनिक जीवन में योग नाम की संस्थाएँ स्थापित की । स्वामीजी के नेतृत्व में सैकड़ों योग साधना केंद्र पश्चिमी और मध्य यूरोप में संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और भारत में हैं ।
विश्वगुरु श्री महेश्वरानन्द जी ने राजस्थान के पाली जिले के रूपवास नाम के गांव में १५ अगस्त १९४५ में जन्म लेकर पूरे राजस्थान की ही नहीं बल्कि पूरे भारत देश की धरती का मान बढाया है । आपके पिता पंडित कृष्णराम गर्ग और माता फूलदेवी गर्ग दोनों ही सच्चे धार्मिक और भक्त थे । स्वामी जी का बचपन का नाम मांगीलाल था । छोटेपन से ही वह अपना खाली समय ध्यान पूजा में बिताते थे । किशोर अवस्था में ही उनके गुरु हिन्दू धर्मसम्राट परमहंस स्वामी माधवानन्द जी ने आपको स्वामी की उपाधि दी। कई सालों तक स्वामी जी परमहंस माधवानन्द जी की छत्रछाया में आश्रम में रहकर सारे धार्मिक अनुष्ठान व आध्यात्मिक अभ्यास नियमपूर्वक करते रहे।
उपाधियाँ:-
1. १० अप्रैल १९९८ में विश्वधर्म संसद ने परमहंस स्वामी जी को "सार्वभौम सनातन धर्म जगद्गुरु" की उपाधि से सम्मानित किया।
2. १३ अप्रैल १९९८ में हरिद्वार में आयोजित महाकुम्भ में आपको महानिर्वाणी अखाड़े का "महामण्डलेश्वर" बनाया गया।
3. २००१ में प्रयाग में लगे महाकुम्भ मेले में विद्वत् समाज ने पुण्यस्वरूप जगद्गुरु शंकराचार्य श्री स्वामी नरेन्द्रानन्द जी की उपस्थित में स्वामी जी को साधु समाज की सबसे बड़ी आध्यात्मिक उपाधि "विश्वगुरु" का सम्मान दिया ।
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