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पंडित मधुसूदन ओझा जी की 157 वीं जन्म जयंती
वेदविज्ञान के प्रयोग ने किया चकित
विश्वगुरु दीप आश्रम शोध संस्थान जयपुर में महामहोपदेशक समीक्षा चक्रवर्ती विद्यावाचस्पति पंडित मधुसूदन ओझा जी की 157 वीं जन्म जयंती का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वेद वैज्ञानिक प्रो• दयानंद भार्गव ने ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद की संहिताओं का प्रयोग करके सभी विद्वानों को आश्चर्यचकित कर दिया । उन्होंने कहा कि य़ह विज्ञान पं० ओझा जी का अनुसंधान है I
इस प्रकार के विज्ञान को उजागर करने के लिए राजस्थान सरकार एवं केंद्र सरकार के द्वारा पं.ओझा वेद विज्ञान के लिए अनुसंधान केंद्र खोले जाएं जिससे भारत का विज्ञान दुनिया के सामने आए । जयपुर में इस प्रकार के प्रयोग पहले भी हो चुके हैं।
कार्यक्रम में डॉ. रामदेव साहू ने मुहूर्त के विषय में चर्चा की और बताया कि कौन से मुहूर्त में कौन सा कार्य करने से क्या फल प्राप्त होता है ।
प्रो• गोपीनाथ जी राजस्थानी भाषा में कविता पाठ कर ओझा जी को याद किया ।
राजस्थान संस्कृत अकादमी के निदेशक डॉ. राजकुमार जोशी जी ने संस्कृत साहित्य को संरक्षित करने और ओझा जी के साहित्य को प्रकाशित करने के लिए प्रतिवर्ष एक लाख रुपए देने की घोषणा की ।
सारस्वत अतिथि प्रो• सुषमा सिंघवी ने ओझा जी के ब्रह्म तत्व की व्याख्या करते हुए वेदों को विज्ञान की दृष्टि से समझने पर जोर दिया ।
कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रो• बनवारी लाल गौड़ ने इंद्र विजय में ओझा जी की दृष्टी पर प्रकाश डालते हुए भारत देश के वैभव को बताते हुए वर्तमान में पंडित ओझा जी के वेद विज्ञान को एक नई दृष्टि से देखने की आवश्यकता पर जोर दिया
विशिष्ट अतिथि कपिल अग्रवाल ने श्री कृष्ण के वर्तमान स्वरुप का वर्णन किया।
म. हरिशंकर दास वेदांती ने अपने आशीर्वचन में कहा कि देश में संस्कृत साहित्य को बचाने के लिए समय-समय पर इस प्रकार के आयोजन एवं संगोष्ठी होना आवश्यक है । महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानेश्वर पुरी जी ने कार्यक्रम में आए सभी विद्वानों का आभार व्यक्त किया ।
डॉ. सुरेंद्र कुमार शर्मा ने सभी अतिथियों का दुपट्टा पहना कर स्वागत किया । डॉ. रघुवीर प्रसाद शर्मा ने शोध संस्थान के नवीन अनुसंधान को उजागर किया व संगोष्ठी में जयपुर के मूर्धन्य विद्वानो ने अपने शोध प्रस्तुत किये, कार्यक्रम में डॉ. उमेश दास, प्रो. ओम प्रकाश पारीक, डॉ. सुभद्रा जोशी, प्रो. राजेंद्र मिश्र, आदि विद्वान उपस्थित रहे।
डॉ. राजेंद्र मिश्र
डॉ. कमल किशोर चोटिया
डॉ. उमेश दास जी, डॉ. रघुवीर शर्मा जी, प्रोफेसर दयानंद भार्गव जी
डॉ. शिव चरण शर्मा