- Home
- Activities
- करोना-विष से मुक्ति के लिये
करोना-विष से मुक्ति के लिये
लेखक - डॉ.नारायणशास्त्रीकाङ्कर, राष्ट्रपति सम्मानित विद्वान्- पीठाचार्य - संस्कृत प्रचार-प्रसार शोधपीठ
करोना-विष से मुक्ति के लिये
॥श्रीमृत्युञ्जय-प्रार्थना॥
चीने प्रजातः खलु मांस-भक्षणाद् , व्याधिः ' करोना-विष ' नाम-धारकः ।
हा हन्त ! विष्वक् प्रसृतो विभीषणो , जनानकाले नयते यमान्तिके॥१॥
चीन में निश्चित रूप से मांस-भक्षण से उत्पन्न हुआ 'कोरोना-विष' नाम को धारण करने वाला रोग विभीषण बन कर सब ओर फैला हुआ लोगों को बिना समय में ही हा दुःख है, यमराज के पास पहुँचा रहा है।
Born in China, surely from the eating of meat, a disease named Coronavirus, spread throughout the whole world- Yes, it’s a pity that without any delay it sends the people to Yama (king of death)- |1|
एतन्-महामारक - रोगमत्र , मांसाशिनो येऽजनयन्निदानीम् ।
सुरक्षितास्तेऽपि ततो न शम्भो ! , त्वमेव तेभ्यः सुमतिं प्रदेहि॥२॥
इस महामारक रोग को यहाँ जिन मांस-भक्षकों ने उत्पन्न किया है , वे भी, हे शम्भो ! अब उस रोग से सुरक्षित नहीं हैं। आप ही उनको सद्बुद्धि दीजिये।
Even those meat-eaters who made this epidemy, o Shambho, are now not safe from it- Give then wisdom! |2|
नियन्तुमेतं भिषजो निरन्तरं , प्राणानपि स्वान् विनिपात्य सङ्कटे।
चिकित्सितुं रुग्ण-जनान् न जातु ये , तिष्ठन्ति पृष्ठे , प्रणमामि भूरि तान्॥३॥
इस रोग को नियन्त्रित करने के लिये जो चिकित्सक अपने प्राणों को भी सङ्कट में डाल कर , रोगी लोगों की चिकित्सा करने में पीछे नहीं रह रहे हैं, मैं उन सभी को बहुत बहुत प्रणाम करता हूँ।
I am praising, again and again, those doctors who are putting their lives in danger trying to control the disease and are not giving up in treating the ill patients- |3|
मृत्युञ्जयस्त्वं त्रिपुरान्तकस्त्वं , यस्मै प्रकोपस्तव जायते ऽत्र ।
कृत-प्रयत्नोऽपि स जीवितुं न, शक्नोति कुत्रापि कदापि रुद्र ! ॥४॥
हे रुद्रदेव ! आप ही मृत्युञ्जय हो और आप ही त्रिपुरान्तक हो । आपका जिस पर यहाँ प्रकोप हो जाता है , वह प्रयत्न किया हुआ भी कहीं भी कभी जीवित नहीं रह सकता।
Oh, Rudradeva! You are immortal- You ended Tripuraris’ terror- Whatever awakes your fury never and nowhere survives even if it tries- |4|
ध्यात्वात्मरूपं भव रुद्र-रूपो , व्याधिं ' करोना-विष ' नामकं त्वम् ।
नामावशेषं त्वरितं विधाय, स्वं ' शङ्करं ' नाम कुरुष्व सार्थम् ॥५॥
आप अपने रूप का ध्यान करके रुद्ररूप वाले बन जाओ और ' करोना-विष ' नामक रोग को तुरत नामावशेष करके अपने ' शङ्कर ' नाम को सार्थक बना दो।
Remember and take your Rudra form and destroy this poison of Corona disease and fulfil the merciful form of your name Shankar- |5|
किमप्यशक्यं नहि तेऽस्ति कर्त्तुं , प्रसीद शम्भो ! त्वरितं प्रसीद ।
व्याधेः ' करोना-विष ' नामकात् त्वं , त्रायस्व तं , याचति यो विनीतः॥६॥
आपके लिये कुछ भी करने के लिये अशक्य नहीं है । हे शम्भुदेव ! प्रसन्न होइये, त्वरित प्रसन्न होइये। आप ' करोना-विष ' नामक रोग से उसकी रक्षा कर दीजिये, जो इस रक्षा करने के लिये आपसे विनीत बना हुआ याचना करता है।
There is nothing impossible for you- Oh, Shambhu! Be kind, quickly be kind! Protect those who are asking/begging you, from the Corona virus- |6|
त्वमाशुतोषोऽसि दयस्व तूर्णं , विलम्बसे किं ? त्वरितं दयस्व ।
पूजा-विधिज्ञोऽस्मि न हे महेश !, व्याधेः ' करोना-विष ' तः प्रपाहि ॥७॥
आप आशुतोष हो , तूर्ण दया कीजिये, विलम्ब क्यों करते हो ? त्वरित प्रसन्न होइये। हे महेश्वर ! मैं आपकी पूजाविधि का ज्ञाता नहीं हूँ। आप ' करोना-विष ' रोग से रक्षा कीजिये।
You are easily appeased, be merciful quickly- What are you waiting for? Quickly be pleased! O Maheshwar, I don’t know how to worship you- Please, protect us from the Corona virus- |7|
समुद्र - मन्थोद्भव - कालकूटं , पीत्वा यथा देवगणान् अरक्षीः।
तथा ' करोना-विष ' तोऽपि विश्वं , रक्षन् द्रुतं मामपि रक्ष शम्भो !॥८॥
समुद्र का मन्थन करने से उत्पन्न हुए महामारक कालकूट को पीकर जैसे आपने देवगणों की रक्षा की थी , वैसे ही ' करोना-विष ' से भी विश्व की रक्षा करते हुए आप हे शम्भुदेव ! मेरी भी शीघ्र रक्षा कीजिये।
In the same way, you protected gods by drinking poison during the churning of the ocean, protect this world from the poison of Corona, oh Shambhudeva! Please, also quickly protect me- |8|
मृत्युञ्जय ! त्वां मनसा स्मरन् प्राक् , पयः प्रपीयापि च पूतनायाः ।
मृतो न कृष्णोऽनुपम - प्रभावात् , तेनैव सर्वानपि रक्ष रक्ष ॥९॥
हे मृत्युञ्जय महादेव ! पुरा काल में आपका मन से स्मरण करते हुए पूतना का विषैला दूध पीकर भी आपके अनुपम प्रभाव से बालकृष्ण नहीं मरे। अब उसी प्रभाव से आप ' करोना-विष ' से सभी की रक्षा कीजिये , रक्षा कीजिये।
Oh, Mrityunjaya Mahadeva! In the past only by remembering you while drinking Putnas’ poisoned milk, due to your incomparable might, the child Krishna did not die- Now, protect all by this might from the poison of Corona- |9|
संरक्षकस्त्वं शरणागतानां , कदापि तान् नो कुरुषे निराशान् ।
तस्मादहं त्वां शरणागतोऽद्य, महेश ! याचे जगतः शिवं हि ॥१०॥
आप शरणागतों के सम्यक् रक्षक हो, कभी भी उनको निराश नहीं करते हो । अतः आपकी शरण में आया हुआ मैं आज हे महेश्वर ! आपसे जगत् के कल्याण की याचना करता हूँ।
You are the protector of those who come to you, and you never disappoint anyone- Therefore, I came today under your shelter, o Maheshwara! I am praying to you for the benefit of the whole world- |10|
पुनः पुनस्त्वामिदमेव याचे , व्याधेः ' करोना-विष ' नामकात् त्वम् ।
संरक्ष्य सर्वान् सुखिनः कुरुष्व , त्वत्तोऽति शक्तो नहि कोऽपि शम्भो ! ॥११॥
मैं पुनः पुनः आपसे यही याचना करता हूँ कि आप ' करोना-विष ' नामक रोग से सभी की सम्यक् रक्षा करके उनको सुखी बना दीजिये। हे शम्भुदेव ! आपसे अधिक कोई भी सामर्थ्यवान् नहीं है।
Again, and again I am asking from you to properly protect everyone from the disease named Corona and make them happy- O Shambhudeva, there is no one more capable than you- |11|
इतोऽतिरिक्तं नहि किञ्चिदन्यद् , याचेऽद्य शम्भो ! कृपया तदेतत्।
निवेदनं मे परिपूर्य विश्वं , व्याधेः ' करोना-विष ' तः प्रपाहि ॥१२॥
मैं इससे अतिरिक्त अन्य कुछ याचना नहीं करता। हे शम्भुदेव ! आज आप कृपया इस मेरे निवेदन को परिपूर्ण करके विश्व की ' करोना-विष ' से रक्षा कर दीजिये।
I don’t ask you anything else, O Shambhudeva! Please, fulfil my prayer today and protect the world from the poison of Corona- |12|
युग्मकम्
ऊनत्रिंशे केसर-, विहारे विद्या - वैभव - भवनेऽत्र ।
जगत्पुराख्य - जयपुरे , वासी विश्व - नैरोग्यैषी ॥१३॥
भगवन्-मृत्युञ्जयाय, ' करोना-विष ' व्याधितो मुक्तये ।
निवेद्येमां प्रार्थनां , विरमति नारायण - काङ्करः॥१४॥
विद्या-वैभव-भवनए २९ - केसर विहार, जगत्पुरा जयपुर- ३०२०१७ ;राजस्थानद्ध में निवास-कर्त्ता विश्व-नीरोगता का इच्छुक बना हुआ ' करोना-विष ' रोग से मुक्त होने हेतु भगवान् मृत्युञ्जय के लिये यह प्रार्थना निवेदित करके नारायणकाङ्कर यहीं अब विराम ग्रहण करता है।
The resident of Vidya-Vaibhav-Bhavan, 21 Kesar Vihar, Jagatpura, Jaipur 302017 (Rajasthan), Narayan Kankar, wishing for the health of the whole world from the Corona virus I submitted this prayer to the Lord Mrityunjaya and stopping here- |13-14|
एतत् - त्रिकाल - पाठी , मृत्युञ्जय - प्रसादादवश्यमेव ।
' करोना-विष '-मुक्तोऽत्र , लभते सुखमिष्टं, न संशयोऽस्मिन् ॥१५॥
इसका प्रातः, मध्याह्न और सायं तीनों समय पाठ करने वाला भगवान् मृत्युञ्जय की कृपा से अवश्य ही यहाँ ' करोना-विष ' रोग से मुक्त बना हुआ स्वाभीष्ट सुख प्राप्त कर लेता है। इसमें संशय नहीं है।
There is no doubt that the one who will recite this prayer in the morning, noon and evening, merciful Lord Mrityunjaya will free from the Corona virus and fulfil all desires- |15|
ॐ शान्तिः ! शान्तिः !! शान्तिः !!!
॥ श्रीशङ्करार्पणमस्तु ॥
हिन्दीरूपान्तर-कर्त्री - श्रीमती इन्दुशर्मा काङ्कर
English translation: Swami Gyaneshwar Puri, Vice President, Department of Yoga