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अभिलेख के परिरक्षण एवं संरक्षण
राजस्थान राज्य अभिलेखागार की सहमति से शोध संस्थान में प्राचीन हस्तलिखित पाण्डुलिपियों का प्रशिक्षण व संरक्षण को बढावा देते हुए ‘अभिलेख के परिरक्षण एवं संरक्षण’ पर 3 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन विश्वगुरुदीप आश्रम परिसर में 12 जून 2019 बुधवार से 14 जून 2019 शुक्रवार तक हुआ।
कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थीयों को पाण्डुलिपियों, दुर्लभ पुस्तकों, दुर्लभ ग्रंथों, पुराने व दुर्लभ दस्तावेजों व अभिलेखों के परिरक्षण व संरक्षण के लिए प्रशिक्षित किया गया। कार्यशाला में राजस्थान राज्य अभिलेखागार के विद्वान एवं प्रशिक्षक पं. रमाशंकर गौड द्वारा शारदा, खरोष्टी, देवनागरी, नन्दी नागरी, व ग्रन्थ लिपि की जानकारी दी। व प्रायोगिक स्तर पर भारतीय पाण्डुलिपि मिशन के विद्वान सोमबाबू शर्मा द्वारा पाण्डुलिपि संरक्षण व संवर्द्धन का प्रायोगिक कार्य प्रशिक्षणार्थीयों को सिखाया इस प्रशिक्षण शिविर से सभी की जिज्ञासा बढी, समापन समारोह में प्रमाण पत्र वितरण किया गया। संस्थान के उपाध्यक्ष स्वामी ज्ञानेश्वरपुरी जी ने बताया की संस्कृत के क्षेत्र में रोजगार की काफी संभवनाए है। हम सभी को संस्कृत भाषा का अध्ययन करना चाहिए आज विदेशी भी संस्कृत सीख रहे है।